Ganesh Chaturthi 2024: यह तो सभी लोग जानते है कि भगवान शिव ने ही अपने पुत्र गणेश का सिर काटा था और इसको लेकर बहुत सी पुरानी कथाएं भी प्रचलित है.
Ganesh Chaturthi 2024: यह तो सभी लोग जानते है कि भगवान शिव ने ही अपने पुत्र गणेश का सिर काटा था और इसको लेकर बहुत सी पुरानी कथाएं भी प्रचलित है. ऐसा माना जाता है कि जब उनके पुत्र गणेश ने उन्हें माता पार्वती से मिलने के लिए माना कर दिया तो वन बाहत ज्यादा क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोध में आकर अपने पुत्र गणेश का सर धार से अलग कर दिया. लेकिन इसके पीछे एक और बड़ा कारण था. वह कारण था महादेव को ऋषि कश्यप से मिला श्राप, जिसकी वजह से उन्होंने अपने की पुत्र को पीड़ा पहुंचाई. तो फिर चलिए जानते है क्या था वो श्राप जिसकी वजह से भगवन शिव को गणेश जी का गाला काटना पड़ा.
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शिव जी के जन्म की कथा
एक बार शिवजी के गण नंदी ने देवी पार्वती की आज्ञा का पालन करने में त्रुटि कर दी। इससे नाराज देवी ने अपने शरीर के उबटन से एक बालक का निर्माण किया और उसमें प्राण डाल दिए, कहकर कि, “तुम मेरे पुत्र हो। तुम मेरी ही आज्ञा का पालन करोगे, किसी और की नहीं.” देवी पार्वती ने यह भी कहा कि, “मैं स्नान के लिए जा रही हूं। ध्यान रखना कि कोई भी अंदर न आ पाए।” थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और देवी पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे.
यह देखकर उस बालक ने विनम्रता से उन्हें रोकने का प्रयास किया। बालक की अडिगता देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। जब देवी पार्वती ने यह देखा, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गईं और उनकी क्रोध की अग्नि से सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब सभी देवताओं ने मिलकर उनकी स्तुति की और बालक को पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया.
भगवान शिव के निर्देश पर, विष्णुजी एक हाथी का सिर काटकर लाए और उसे उस बालक के धड़ पर रखकर उसे जीवित कर दिया। इसके बाद, भगवान शिव और अन्य देवताओं ने उस गजमुख बालक को अनेक आशीर्वाद दिए। देवताओं ने उस बालक को गणेश, गणपति, विनायक, विघ्नहरता, प्रथम पूज्य आदि कई नामों से सम्मानित किया और उसकी स्तुति की.
भगवान शिव को मिला था श्राप
शिव पुराण के अनुसार, महादेव के दो भक्त थे, माली और सुमाली जो बाद में जाकर राक्षस बने थे. वे दोनों स्वर्ग पर अधिकार करना चाहते थे और सूर्यदेव ऐसा होना नहीं दे सकते थे इसलिए सूर्यदेव और इन राक्षसों के बीच युद्ध हो गया. स्वर्ग को राक्षसों से बचाने के लिए सूर्यदेव ने अपनी तेज शक्ति का प्रयोग किया. माली सुमाली की आवाज सुनकर भगवान शिव वहां पहुंचे तो दोनों भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे कि हमें सूर्यदेव के प्रकोप से बचा लीजिए.
इस कारण काटना पड़ा पुत्र गणेश का सिर
शिवजी ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए सूर्यदेव पर त्रिशूल से आघात किया, जिससे सूर्यदेव गंभीर रूप से घायल होकर मरणासन्न हो गए। अपने पुत्र सूर्यदेव को इस दयनीय स्थिति में देखकर महर्षि कश्यप अत्यंत क्रोधित हो उठे. क्रोध में आकर उन्होंने भगवान शिव को श्राप दे दिया कि “जिस प्रकार तुमने मेरे प्रिय पुत्र को मारा है, ठीक उसी प्रकार तुम्हें भी अपने पुत्र का वध करना पड़ेगा.” महर्षि कश्यप के इस श्राप के परिणामस्वरूप ही वह स्थिति उत्पन्न हुई, जिसके कारण भगवान शंकर को अपने पुत्र गणेश का सिर काटना पड़ा.