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इन ग्रहों में होता है कामेच्छा को घटाने बढ़ाने का बड़ा रोल, जानें कैसे करें कंट्रोल

कामेच्छा यानी काम भावना,जीवन की बुनियादी जरुरत है .कामेच्छा न हो तो पृथ्वी पर किसी भी समुदाय का विस्तार संभव नहीं हो सकता फिर मनुष्य जीवन के लिए तो ये सबसे जरुरी तत्व है, एक संयमित और आदर्श जीवन जीने के लिए संतुलित कामेच्छा का होना सबसे जरुरी है और इसमें हमारी सहायता करते हैं ग्रह-नक्षत्र, आईये जानते हैं कामेच्छा को घटाने और बढ़ाने में इन ग्रहों का क्या योगदान होता है ?

कामेच्छा को प्रभावित करने वाले ग्रह

ज्योतिष शास्त्र में कामेच्छा को संतुलित करने के लिए दो ग्रहों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना गया है, मंगल और शुक्र ग्रह का इसमें बड़ा रोल माना गया है . माना जाता है अगर जातक की कुंडली में मंगल (Mars) और शुक्र ग्रह (Venus) शुभ स्थिति में हों तो जातक का गृहस्थ जीवन संतुलित और सफल माना जाता है जबकि इसके विपरीत मंगल और शुक्र का कमजोर होना जातक के जीवन में उदासीनता भरने के लिए काफी होता है, ऐसा जातक गृहस्थ जीवन में अपमान और निराशा का जीवन तो व्यतीत करता ही है,शेष जीवन भी कुंठा में बिता देता है .

कुंडली में मंगल (Mars) की अशुभ स्थिति

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ज्योतिषशास्त्र में मंगल (Mars) को ऊर्जा, साहस, पराक्रम का मुख्य कारक ग्रह माना जाता है। यदि जातक की कुंडली में मंगल शुभ और बली हों तो जातक बेहद पराक्रमी होता है। जीवन में चुनौतियों का सामना डटकर करता है, यहाँ तक कि गृहस्थ जीवन में भी ऐसे जातक का उत्साह बना रहता है, वहीं कुंडली में मंगल ग्रह की कमजोर स्थिति जातक को उदासीन बनाने के साथ साथ आलसी भी बना देती है जिसका सीधा प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है,

विवाह के समय कुंडली मिलान करते समय भी मंगल की स्थिति का विशेष तौर पर मूल्याङ्कन किया जाता है, यौन सुख में मंगल की शुभ स्थिति बहुत मायने करती है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल (Mars) की कमजोर स्थिति जातक को अति कामी या यौन क्षमता की कमजोर करने की क्षमता रखती है . ये दोनों ही स्थिति जातक के सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सही नहीं मानी जाती क्योंकि जातक का अति कामी होना उसे समाज में अपराध की तरफ धकेल सकता है जबकि कामेच्छा की कमी जातक को गहरी हताशा में डुबो सकती है .

कुंडली में शुक्र ग्रह (Venus) की अशुभ स्थिति

शुक्र ग्रह (Venus) को लक्ज़री, प्रेम, यौन क्षमता, सौभाग्य और सुख सुविधा का कारक माना गया है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में शुक्र केंद्र में त्रिकोणगत हों तो जातक बेहद आकर्षक होता है। गृहस्थ जीवन भी ऐसे जातक सफल देखें गये हैं,सुख सुविधा ऐसे जातक के पीछे पीछे आती है लेकिन कुंडली में जब शुक्र ग्रह की स्थिति सही नहीं हो तो जातक को गृहस्थ जीवन में काफी संघर्ष देखना पड़ता है, संतानोत्पत्ति में समस्या के साथ साथ जातक को जननांगों की समस्या उत्पन्न हो सकती है. महिलाओं में मासिक धर्म में गड़बड़ी के लिए भी यही ग्रह जिम्मेदार होता है .

कामेच्छा का सीधा कनेक्शन शुक्र ग्रह से होता है. कुंडली में शुक्र (Venus) की खराब स्थिति वैवाहिक जीवन को हमेशा डिस्टर्ब बनाये रखती है. पुरुष की कुंडली में शुक्र ग्रह (Venus) की निर्बल स्थिति कामेच्छा के प्रति अनिच्छा उत्पन्न करती है, जातक अपने जीवनसाथी के प्रति उदासीन रहता है और संभवतः दूषित चरित्र की संभावना भी देखी गई है .

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक सुखी और सफल वैवाहिक जीवन के लिए कुंडली में इन दो ग्रहों (मंगल और शुक्र ) का बहुत बड़ा योगदान होता है खासकर महिला की कुंडली में मंगल के साथ गुरु और चन्द्र की स्थिति और पुरुष की कुंडली में शुक्र की स्थिति लेकिन कुंडली का पूर्ण मूल्यांकन करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचें, ग्रहों की स्थिति,उनकी डिग्री और उन पर पड़ने वाली क्रूर और सौम्य ग्रहों की दृष्टि भी कामेच्छा को प्रभावित करती है

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